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सोमवार, जनवरी 16, 2012

netaji subhash chandra bose

घोर अँधियारा है उजास मांगता है देश,पतझड़ छाया मधुमाश मांगता है देश
कुर्बानियों का एहसास मांगता है देश,एक बार फिर से सुभाष मांगता है देश
चंद काले पन्ने फाड़े गए है किताब से ,इतिहास को सजाया खादी और गुलाब से
पूछता हूँ क्यों सुभाष का कोई  पता नहीं, कैसे कहू बीती सत्ता की कोई खता नहीं
एकाएक वो सुभाष जाने कहा खो गए,और सारे कर्णधार मीठी नींद सो गए
मानो या न मानो फर्क है साजिशो भूल में,कोई षड़यंत्र छुपा है समय की धुल में

गाँधी का अंहिंसा मंत्र रोता चला जा रहा,देखिये ये लोकतंत्र सोता चला जा रहा
आजादी की आत्महत्या पे क्यों सभी मौन है,इसकी खुद्कसी के जिम्मेदार कौन कौन है
अभी श्वेत खादी  की ये आंधी नहीं चाहिए,दस बीस साल अभी गाँधी नहीं चाहिए
सोये हुए शेर की तलाश मांगता है देश,एक बार फिर सुभाष मांगता है देश

ढाल और खडग बिन गाथा को गढ़ा गया,आजादी का स्वर्णताज खादी से मढ़ा गया
ढाल और खडग बिन गाथा को गढ़ा गया,आजादी का स्वर्णताज खादी से मढ़ा गया
आजादी की नीव को लहू से था भरा गया,मिली नहीं भीख में आजादी को वरा गया
सारे श्रेय को ले के कपूत उकितने जाबांज बाज धरती में गढ़ गए ,किन्तु ड़ गए

कहते हो बैठे थे सुभाष जिस विमान में ,हो गया है ध्वस्त वो विमान  ताइवान में
सूर्य के समक्ष वक्ष तान घटा छा गयी ,भाग्य की कलम स्याही से कहर ढा गयी
दिव्य क्रांति ज्योत को अँधेरा आ के छल गया,बोलते हो सूर्य पुत्र चिंगारी से जल  गया
आप से वो जली हुई लाश मांगता है देश,एक बार फिर से सुभाष मांगता है देश


                                                                                                         -श्री सौरभ जैन