मजहबी कागजों पे नया शोध देखिये,वन्दे मातरम का होता विरोध देखिये
देखिये जरा भाषाओं का ये व्याकरण,भारती के अपने ही बेटो का ये आचरण
वन्देमातरम नहीं विषय है विवाद का,मजहबी द्वेष का न ओछे उन्माद का
वन्दे मातरम पे ये कैसा प्रश्नचिन्ह है,माँ को मान देने में औलाद कैसे खिन्न है
मात भारती की वंदना है वन्दे मातरम,बंकिम का स्वप्न कल्पना है वन्दे मातरम
वन्देमातरम एक जलती मशाल है,सारे देश के स्वाभिमान का सवाल है
आवाहन मंत्र है ये काल के कराल का,आइना है क्रन्तिकारी लहरों के उछाल का
वन्देमातरम उठा आज़ादी के साथ से,इसीलिए बड़ा है ये पूजा से नमाज़ से
भारत का आन बान शान वन्देमातरम,शहीदों के रक्त की जबान वन्देमातरम
वन्देमातरम शौर्य गाथा है भगत की,मात भारती पे मिटने वाली शपथ की
अल्फ्रेड बाग़ की वो खुनी होली देखिये,शेखर के तन पे चली गोली देखिये
चीख चीख रक्त की वो बुँदे है पुकारती,वन्दे मातरम है माँ भारती की आरती
वन्देमातरम के जो गाने के विरुद्ध है,पैदा होने वाली ऐसा नसले अशुद्ध है
आबरु वतन की जो आंकते है ख़ाक की,कैसे मान ले की वो है पीड़ी अशफाक की
गीता और कुरान से नहीं उनको है वास्ता,सत्ता के सिखर का वो गड़ते है रास्ता
हिन्दू धर्म के न वो अनुयायी इस्लाम के,वंश के हितैषी वो रहीम के न राम के
गैरत हुज़ूर कहीं जा के सो गयी है क्या,सत्ता माँ की वंदना से बड़ी हो गयी है क्या
देश तज मजहब के जो वसीभूत है,अपराधी है वो लोग ओछे है कपूत है
माथे पे लगा के माँ के चरणों की ख़ाक जी,चढ़ गए है फासियों पे लाखों असफाक जी
वन्देमातरम कुर्बानियों का ज्वार है,वन्देमातरम जो न गए वो गद्दार है
वतन की फिक्र कर नादां मुसीबत आने वाली है,तेरी बरबादियों के तस्गरे हैं आसमानों में,
इसने बनाया चित्र उसने दी गालियाँ,आप बस किन्नरों से पिटिएगा तालियाँ
ऐसे दाग रोज़ कैसे साफ़ करते रहे,कब तक बतमीजी माफ़ करते रहे
आखरी चेतावनी है सुनो पछताओगे,देखे वन्दे मातरम कैसे नहीं गाओगे
आस्थाओं के ये दृष्टीकोण कैसे हो गए,भारती के लाल सारे मौन कैसे हो गए
ऐसी नीचता के जो भी लोग सूत्रधार है,माँ की छातियों के दूध वो कर्ज़ दार है
कह दो वो आका से जो तुमको पढाता है,बतमीजी ये नहीं जो तुमको सिखाता है
अबकी लाहौर में तिरंगा गड़ जायेगा,पाक को भी मातरम गाना पड़ जायेगा
देखिये जरा भाषाओं का ये व्याकरण,भारती के अपने ही बेटो का ये आचरण
वन्देमातरम नहीं विषय है विवाद का,मजहबी द्वेष का न ओछे उन्माद का
वन्दे मातरम पे ये कैसा प्रश्नचिन्ह है,माँ को मान देने में औलाद कैसे खिन्न है
मात भारती की वंदना है वन्दे मातरम,बंकिम का स्वप्न कल्पना है वन्दे मातरम
वन्देमातरम एक जलती मशाल है,सारे देश के स्वाभिमान का सवाल है
आवाहन मंत्र है ये काल के कराल का,आइना है क्रन्तिकारी लहरों के उछाल का
वन्देमातरम उठा आज़ादी के साथ से,इसीलिए बड़ा है ये पूजा से नमाज़ से
भारत का आन बान शान वन्देमातरम,शहीदों के रक्त की जबान वन्देमातरम
वन्देमातरम शौर्य गाथा है भगत की,मात भारती पे मिटने वाली शपथ की
अल्फ्रेड बाग़ की वो खुनी होली देखिये,शेखर के तन पे चली गोली देखिये
चीख चीख रक्त की वो बुँदे है पुकारती,वन्दे मातरम है माँ भारती की आरती
वन्देमातरम के जो गाने के विरुद्ध है,पैदा होने वाली ऐसा नसले अशुद्ध है
आबरु वतन की जो आंकते है ख़ाक की,कैसे मान ले की वो है पीड़ी अशफाक की
गीता और कुरान से नहीं उनको है वास्ता,सत्ता के सिखर का वो गड़ते है रास्ता
हिन्दू धर्म के न वो अनुयायी इस्लाम के,वंश के हितैषी वो रहीम के न राम के
गैरत हुज़ूर कहीं जा के सो गयी है क्या,सत्ता माँ की वंदना से बड़ी हो गयी है क्या
देश तज मजहब के जो वसीभूत है,अपराधी है वो लोग ओछे है कपूत है
माथे पे लगा के माँ के चरणों की ख़ाक जी,चढ़ गए है फासियों पे लाखों असफाक जी
वन्देमातरम कुर्बानियों का ज्वार है,वन्देमातरम जो न गए वो गद्दार है
वतन की फिक्र कर नादां मुसीबत आने वाली है,तेरी बरबादियों के तस्गरे हैं आसमानों में,
न संभलोगे तो मिट जाओगे ये हिंदुस्तान वालों,तुम्हारी दास्ताँ तक न होगी दास्तानों में
इसने बनाया चित्र उसने दी गालियाँ,आप बस किन्नरों से पिटिएगा तालियाँ
ऐसे दाग रोज़ कैसे साफ़ करते रहे,कब तक बतमीजी माफ़ करते रहे
आखरी चेतावनी है सुनो पछताओगे,देखे वन्दे मातरम कैसे नहीं गाओगे
आस्थाओं के ये दृष्टीकोण कैसे हो गए,भारती के लाल सारे मौन कैसे हो गए
ऐसी नीचता के जो भी लोग सूत्रधार है,माँ की छातियों के दूध वो कर्ज़ दार है
कह दो वो आका से जो तुमको पढाता है,बतमीजी ये नहीं जो तुमको सिखाता है
अबकी लाहौर में तिरंगा गड़ जायेगा,पाक को भी मातरम गाना पड़ जायेगा
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