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रविवार, जनवरी 15, 2012

noor ki rachna

सौजन्य श्री :- काश, नूर की भावनायें सभी में भरपूर हो .....

किन सज़ाओं तक मुझे मेरी ख़ता ले जाएगी और कितनी दूर तक मुझको वफ़ा ले जाएगी

मुझको अपने रास्ते का इल्म है अच्छी तरह क्यों कहीं मुझको कोई पागल हवा ले जाएगी

मैं तो अपनी कोशिशों से जाऊँगा जंगल के पार आपको उस पार क्या कोई दुआ ले जाएगी?

दूर तक सहराओं में पानी की ख़ातिर दोस्तो मुझको मेरी प्यास की क़ातिल अदा ले जाएगी

ज़िंदगी जब-जब भी आएगी मेरी दहलीज़ पे माँग कर मुझसे वो थोड़ा हौसला ले जाएगी

‘नूर’ इस अल्हड़ पवन को इस तरह से साध तू दूर तक दुनिया में वो तेरा कहा ले जाएगी

-- Noor, Shayar

जय जवान जय हिंद

हर हमले पे माँ भारती का ढाल बन जाता हूँ,चैन से तुम  जी सको  मौत से भी न घबराता हूँ
श्रींगार  जिनका है माँ भारती का आँचल ,उन वीर माँ के अमर पुत्रो पे मैं अपना शीश झुकता हु

कैसे भूलू मैं उस मनोज को जो जननी का क़र्ज़ उतार गया,मरते मरते भी वो वीर दुश्मन पे झंडा गाड़ गया,
बड़ते है जब वो शेर तो दुश्मन भी थर्राता है,रक्षक ये माँ भारती के देख कर काल भी डर जाता है,  लड़ना सिखा सकते है सब पर मरना कौन सिखाता हैं,जिनके एक हुंकार से दुश्मन भी डर जाता है
क्रुद्ध हो उठता हैं सीना आँखें लाल हो जाती है,वादों के बाद भी ये सरकार उनके लिए नहीं कुछ कर पाती है
जिनकी   अमरता पे अमर शब्द भी इतराता है,लिपट के जिनसे  तिरंगा भी गौरवान्तिक हो जाता है
जय हिंद के नारों को जिनसे है सम्मान मिला ,जिनकी अमरता से माँ भारती को अभिमान मिला


जय हिंद जय भारत जय भारतीय सेना तुम हो इसलिए हम सुरक्षित हैं,मेरी  कलम से निकली कविता  का एक एक शब्द सेना को समर्पित