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शुक्रवार, दिसंबर 23, 2011

जो कुछ सिखा जो कुछ पाया

  जब भी हम गिरे,तो ये ख्याल रहे
  जल्द ही उठना भागना है,
  निकल जायेंगे सब आगे भागते भागते,
  रुकता नहीं कोई यहाँ  किसी के वास्ते

   मत बैठो यूँही खाली कभी,कुछ करो
  खुश रहो रखो सबको खुश,
 खुद के लिए नहीं तो कम से कम,
 कुछ उनके लिए भी जो कभी हँसे नहीं

कुछ करने के लिए कोई डिग्री नहीं होती
शुरू करने की तो बस जरुरत है होती

सोचो उत्तम करो उत्क्रीस्ट  कर्म सदा,
ताकि जीवन में न रहे कोई भ्रम ,
मैं और तुम मिलके चलो बने हम,
कुछ नया करने में क्यों करते हो शर्म

करो वही जो दिल मैं है बस बसता,
ताकि इन्तजार करे हर एक रस्ता

रखो सदा ये बात याद,
सच्ची ख़ुशी खरीदी जा सकती नहीं,
और सच्ची मुस्कराहट ला सकती नहीं,
करो तो एक बार दिल से कभी सच्ची मदद,
खुश रहेगा दिल और तन मन हर वक़्त

सच्ची ख़ुशी को समझौतों का सहारा नहीं होता,
झूठी खुशियों से दोस्त जीवन भर गुजरा नहीं होता

बोलो तो जरुर मगर याद इतना रखना,
किसी का दिल तो दुखे मगर टूटे नहीं,
बात वही कहो जो हो पूरी पूरी सही,
बेकार बोलने से अच्छा मौन रहो,
मन ही मन खुद से सब कुछ कहो

झूठ बोलने से भी तो सब कुछ प्यारा नहीं होता,
क्षणिक खुशियों से भी जीवन भर का सहारा नहीं होता

मत करो कोई काम कभी अधुरा आधा,
जीवन में रखो वसूल बस एक सीधा साधा
करो खुद से सदा एक वादा,
हँसो तो खुल के हँसो,सुन्दर और स्वस्थ बनो
हँसते रहो सदा हँसाते रहो,दिल में बसों सबके
खिलते रहो और बस खिलखिलाते रहो

ईश्वर देता साथ उसी जो हो दिल का सच्चा,
दिल हो वैसा साफ़ जैसे चार साल का बच्चा

जो कुछ सिखा जो कुछ पाया,
शायद सब कुछ लिख न पाया,
पर जो भी कुछ लिखा है मैंने,
वो दस साल से खुद पे आजमाया,


                                                                                               आपका नागरिक मित्र
                                                                                                         पंकज मणि