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रविवार, जनवरी 15, 2012

जय जवान जय हिंद

हर हमले पे माँ भारती का ढाल बन जाता हूँ,चैन से तुम  जी सको  मौत से भी न घबराता हूँ
श्रींगार  जिनका है माँ भारती का आँचल ,उन वीर माँ के अमर पुत्रो पे मैं अपना शीश झुकता हु

कैसे भूलू मैं उस मनोज को जो जननी का क़र्ज़ उतार गया,मरते मरते भी वो वीर दुश्मन पे झंडा गाड़ गया,
बड़ते है जब वो शेर तो दुश्मन भी थर्राता है,रक्षक ये माँ भारती के देख कर काल भी डर जाता है,  लड़ना सिखा सकते है सब पर मरना कौन सिखाता हैं,जिनके एक हुंकार से दुश्मन भी डर जाता है
क्रुद्ध हो उठता हैं सीना आँखें लाल हो जाती है,वादों के बाद भी ये सरकार उनके लिए नहीं कुछ कर पाती है
जिनकी   अमरता पे अमर शब्द भी इतराता है,लिपट के जिनसे  तिरंगा भी गौरवान्तिक हो जाता है
जय हिंद के नारों को जिनसे है सम्मान मिला ,जिनकी अमरता से माँ भारती को अभिमान मिला


जय हिंद जय भारत जय भारतीय सेना तुम हो इसलिए हम सुरक्षित हैं,मेरी  कलम से निकली कविता  का एक एक शब्द सेना को समर्पित

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